Friday, September 27, 2019

कांग्रेस और बीजेपी में खेमेबाजी, हलोपा पांच सीटों पर लड़ेगी चुनाव



हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। अब टिकटों के ऐलान की बारी है। टिकट के दावेदारों ने अपने राजनीतिक आकाओं के यहां परिक्रमा शुरू कर दी। पिछले चुनाव में मोदी लहर पर सवार हो पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा हो या फिर कांग्रेस, जजपा, इनेलो, हलोपा और आप, सभी कमर कसकर चुनावी रण में उतर पड़े हैं। प्रदेश तीन भागों में बंटा है। जीटी रोड बेल्ट जो सोनीपत-पानीपत से लेकर पंचकूला तक है।
हलोपा हरियाणा में पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी जल्द ही प्रत्याशियों की सूची जारी करने वाली है। सिरसा और रनियां के अलावा रतिया और कलाबाड़ी से भी प्रत्याशी घोषित करने के मूड में हैं। प्रत्याशियों के प्रोफाइल खंगाले जा रहे है और जल्द ही सूची जारी की जाएगी। वहीं बीजेपी महिला और युवा प्रत्याशी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। हलोपा के अध्यक्ष गोपाल कांडा से कई प्रत्याशी सीधे तौर पर संपर्क में है।
   मध्य हरियाणा जिसके बीच से सिरसा से बहादुरगढ़ जाने वाला नेशनल हाईवे 10 गुजरता है, जो पहले नेशनल हाईवे 9 था। शेष हिसार दक्षिण हरियाणा है। तीनों भागों और उनकी प्रकृति को ध्यान में रखकर ही सभी दल रणनीति बनाएंगे। सत्तारूढ़ भाजपा ने लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप, पांच नगर निगम और जींद उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा ने जहां 75 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं बिखरे विपक्ष के सामने चुनौतियों का अपार अंबार लगा है। इस बार के चुनाव में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय दलों में है, जबकि क्षेत्रीय दल वजूद की लड़ाई लड़ते नजर आएंगे।
पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार राजनीतिक परिस्थितियां काफी बदली हुई हैं, लेकिन जिस तरह से विपक्ष बिखरा हुआ है, उससे भाजपा को अपने मिशन-75 पार की राह आसान नजर आ रही है। चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में राजनीतिक विघटन भाजपा की राह आसान कर रहा है। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले इनेलो की बागडोर उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला संभाले हैं तो इनेलो की कोख से निकली जननायक जनता पार्टी की बागडोर चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह और पोते दुष्यंत चौटाला के हाथ में है। रही बात कांग्रेस की तो वह आधा दर्जन खेमों में बंटी है।
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आलाकमान ने हालांकि कद्दावर दलित नेता कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तीन अहम जिम्मेदारी सौंपी हैं, लेकिन सभी धड़ों को एकजुट करना आसान नहीं। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक तंवर, किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव हों या फिर कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सुरजेवाला, भाजपा को कांग्रेस की फूट रास आ सकती है।
पूर्व सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से अलग होने के बाद जजपा से गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब अकेले चुनाव में उतर रही है। लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के कारण लोसुपा उम्मीदवार अधिकतर स्थानों पर तीसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। आप की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नवीन जयहिंद कई उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है, जिसकी टिकटों का फैसला भाजपा हाईकमान को करना है।
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