Sunday, September 15, 2019

मेरी अधूरी सिरसा ...


वो शहर आप जहां जन्म लेते है और उस शहर से बहुत कुछ सीखते है और वहीं शहर आपको एक मुकाम तक पहुंचाता है। स्वभाविक है वो आपके लिये खास हो जाता है। जिंदगी के सफर 55 वां बसंत मैंने इस शहर में देखें, इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया है। आप सोचते होंगे भलां कोई शहर आपको कुछ दे सकता है? मुझे ऐसा लगता है हर शहर हर इंसान को कुछ न कुछ देता है। सिरसा ने भी मुझे बहुत कुछ दिया है। इसी शहर में मुझे अच्छे दोस्त भी मिले, जिन्होंने मेरी जिंदगी को एक मुकाम दिया। बचपन की यादों से जब बाहर जवानी की दहलीज पर कदम रखी तो कैरियर को एक मुकाम देने को लेकर परिवारवालों का निरंतर दवाब बनना शुरू हो गया। शुरूआत बिजनेस से शुरू की। आप सभी जानते होंगे शू मेकिंग से शो रूम का सफर मेरे लिये बहुत ही कठिन रहा। जब बिजनेस की शुरूआत की तो भारत आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा था। इस दौर में नया बिजनेस शुरू करना बेहद कठिन था। दोस्त अकसर सलाह देते थे, कि अभी बिजनेस मत शुरू करों,लेकिन मैं काम के प्रति शुरू से जिद्दी था। कभी अंजाम का नहीं सोचा, शायद यहीं कारण है कि मेरे जिद्द ने मेरी दुनिया ही बदल दी। 

    जिंदगी में एक ऐसा समय आता है, जब आप अपने शहर के लिये कुछ सोचते है। मैं जब सत्ता था, तब मैंने भी कुछ सपनें सिरसा के लिये देखें। इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया था, अब समय था कि इस शहर को और आने वाली पीढ़ी को बहुत कुछ दूं। सिरसा के विकास को लेकर मेरे दिमाग में खाका खींच चुका था, बस इसको जमीनी स्तर पर आकार देना था। लेकिन जिंदगी ने एक बार फिर करवट बदली और मैं राजनीति संकट से घिर गया। मुझ पर आरोप का दौर शुरू हो गया। आपके संघर्ष को कोई नहीं देखता, लेकिन आपकी सफलता पर चर्चा चलती रहती है। मेरे साथ भी यहीं हुआ, मेरी सफलता की कहानी सबके जुवां पर थी और हो भी क्यों न।
       
 इधर सिरसा के विकास का खाका जो मेरे दिमाग में चल रहा था, उसमें एक दो योजना को मैंने आकार दे दिया था। जैसे आरओ वाटर की सप्लाई। सिरसावासियों के लिये अमृत से कम नहीं था। क्योंकि जल है तो जीवन है। लेकिन मेरा सपना अभी तक अधूरा था। अब मैं सत्ता से दूर था, लेकिन मेरी हिम्मत को तोड़ने की जो कोशिश की गई थी, उसमें मेरी आत्म शक्ति ने फिर से ताकत भर दी। मेरे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि मैं कोई राजघराने में पैदा नहीं हुआ, जो सबकुछ खो जाने पर मुझे दुख होगा। मैंने जो भी हासिल किया यहीं किया और अपने दम पर किया। ईश्वर के आगे किसी का नहीं चलता है, तो फिर मेरा कैसा चलेगा?
मेरा परिवार मेरे साथ था, शायद इन्हीं कारणों से मैं टूटने के बावजूद भी अपनी हिम्मत को जोड़ने में कामयाब रहा। मैंने एक बार फिर से प्रतिज्ञा ली कि जिस सिरसा ने मुझे इतना कुछ दिया, अब मैं उस सिरसा को भी कुछ दूंगा। मेरी सिरसा के विकास का जो खाका आज भी मेरे दिमाग में है, उस खाका को पूरा करने के लिये मैं इस बार फिर चुनाव में हरियाणा लोकहित पार्टी के तरफ से उम्मीदवार के रूप में उतर रहा हूं। आइए मेरी अधूरी सिरसा को फिर से पूरा करूं।

  गोपाल कांडा जी से चर्चा उपरांत

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