“वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखंड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित
यश-क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म-प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया”
जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया”
आज सवाल यहीं उठ रहा है कि वसुधा का नेता कौन हुआ ? आज हरियाणा आर्थिक मोर्चो में लुढ़क गया
है, मनोहर सरकार को नित्य नए बहाने चाहिये। शिक्षकों के मांग कुचल दिये गए, पांच
सितंबर बीते एक पखवाड़ा भी नहीं गुजरा कि शिक्षकों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर
दिया। मनोहर सरकार ने शिक्षक दिवस का तोहफा जो दिया है, उसका हिसाब शिक्षक संघ भी
मतदान करके हिसाब चुकाएंगे। जुमले की सरकार वास्तविक रूप से कहां है, वादों के ढेर
है और उसमें से बदबूं आ रही है।
मनोहर सरकार
अपने में मस्त है और 75 पार का सोपान इस बार देख रही है, लेकिन जनता का नब्ज कौन
सी पार्टी पकड़ती है, यह आने वाले समय में पता चल जाएगा। ‘देश में नमो और प्रदेश में मनो’ इस तरह के जुमले हरियाणा में चर्चा का
विषय है। भले ही पीने के लिये पानी सरकार मुहैया नहीं करवा पा रही हो, लेकिन जुमले
नित्य नए सामने आ रहे है। आप उसी से अपना गुजारा कर लीजिए।
देश का जीडीपी 5
प्रतिशत पड़ है, हरियाणा का जीडीपी 12 वें पायदान से 13 वें पायदान पर पहुंच चुका
है। बैंकों में हुए सबसे ज्यादा फ्राड ने बैंक फ्राड की राशि पिछले साल की तुलना में 73.8 प्रतिशत अधिक हो गई है। 2017-18 में 41,167 करोड़ का फ्राड हुआ था। 2018-19 में 71,542 करोड़ का फ्राड हुआ है। केस की
संख्या के मामले में 15 प्रतिशत की
वृद्धि है। फ्राड के 6801 मामले दर्ज हुए
हैं। 90 प्रतिशत राशि सरकारी बैंकों की
है।
डिजिटल इंडिया के तमाशे के दौर में बैंक नोट का चलन भी 17 प्रतिशत बढ़ा है। वित्त वर्ष 18 में 18 लाख करोड़ नोट का चलन था तो
वित्त वर्ष 19 में 21 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। ये रिज़र्व बैंक का आंकड़ा है। 20 रुपये के जाली नोटों में 87 प्रतिशत की वृद्धि है और 50 रुपये के जाली नोटों में 57 प्रतिशत की। 100 रुपये के जाली नोटों के मामले
में गिरावट देखी गई है।
नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी(NBFC) की सालाना रिपोर्ट कहती है कि
कर्ज़ लेने वाली कंपनियों की संख्या कम हो गई है। 20 प्रतिशत की गिरावट है।
ONGC अपना कर्ज़ चुकाने के लिए विदेशों से 2 अरब डॉलर का कर्ज़ लेगी। इस फंड
का इस्तमाल 15000 करोड़ का लोन चुकाने में होगा। वोडाफोन आइडिया के कारण आदित्य
बिड़ला ग्रुप को दस साल में पहली बार घाटे का मुंह देखना पड़ा है। पूरे समूह का
घाटा 6134 करोड़ हो गया है। NHAI की स्थिति मत पूछिए संपत्ति कुर्क करने की नौबत आ गई है। फिर भी
सरकार के जुमले में कमी नहीं है।
हरियाणा की भी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है। निजीकरण का दौर चल रहा
है। सरकारी कंपनी लिमिटेड का रूप धारण कर रही है। प्रोजेक्त पीपीटी के सहारे चल
रही है।
सवाल यहीं उठ रहा है कि
वसुधा का नेता कौन है? हरियाणा में क्षेत्रीय गठबंधन के
सहारे सरकार चली है। क्या इस बार भी हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा
मिलीजुली सरकार बनाकर सत्ता का सुख भोग पाएंगे? वक्त के साथ इस सवाल को भी यहीं विराम देता हूं !
No comments:
Post a Comment