Sirsa Wall
Friday, October 18, 2019
Sunday, October 13, 2019
Wednesday, October 2, 2019
सिरसा और रानियां में एकतरफा हलोपा का जलवा
सिरसा विधानसभा सीट के उम्मीदवारों पर लगाए जा
रहे सारे कयास समाप्त हो चुके हैं। बीजेपी और संघ के वफादार प्रदीप रितु सरिया को
टिकिट देकर चुनावी जंग शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया है। हरियाणा लोकहित
पार्टी के नेता गोपाल कांडा के आगे बीजेपी का कमजोर और निरंकुश उम्मीदवार टिक भी
नहीं पाएगा। हालांकि यह राजनीति जानकारों की भविष्यवाणी है।
सिरसा
की जनता का आवाज और काम एवं मदद के मामले सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हलोपा के
नेता gopalkanda और रानियां विधानसभा सीट के उम्मीदवार गोबिंद कांडा का कोई तोड़
नहीं है। 1 अक्टूबर को नामांकन फार्म के समय जो शक्ति प्रदर्शन किया, वो देखने
लायक था। सिरसा की सड़कों पर जनता की हुजूम ने इस बात को साबित कर दिया कि सिरसा
की जनता आज भी उनको देखना, सुनना पसंद करती है। सिरसा एक धार्मिक नगरी है और यहां
के नेताओं का धार्मिक लगाव भी रहा है। गोपाल और गोबिंद कांडा भी इससे अछूते नहीं
है। समाज सेवा, जनकल्याण सहित कई योजनाएं वो खुद अपने ट्रस्ट के माध्यम से चलाते
है। दोनों भाईयों का विशेष लगाव जनसेवा में देखने को मिलता है। सिरसा और रानियां
क्षेत्र में बेटियों की शादी हो या माता का जागरण। परिवार के सदस्य की तरह लोगों
की मदद करना। यहीं उनकी इस क्षेत्र में पहचान बन चुकी है।
ट्रस्ट के माध्यम से आंख का इलाज भी कराया जा रहा है। सिरसा और रानियां में
जगह- जगह मोबाइल एंबुलेंस कैंप संचालित किये जा रहे है। इसके अलावा ट्रस्ट के
माध्यम से कैंसर जैसी बड़ी बीमारी का निशुल्क इलाज कराने का बीड़ा इन्हीं दोनों
भाईयों ने उठाया है, जो कि काबिलेतारिफ है। कैंसर बीमारी का इलाज बहुत ज्यादा
महंगा होने के कारण कई परिवार सही तरीके से इलाज करवा नहीं पाते है, लेकिन गोपाल
और गोबिंद कांडा दोनों भाई ने इस कार्य के लिये भी तत्पर है, जबकि सरकार में न
होते हुए सरकार से बेहतर काम सिरसा और रानियां क्षेत्र के लिये कर रहे है।
एक
मुलाकात के दौरान गोपाल कांडा ने साफ तौर पर कहा कि राजनीति मेरे लिये एक सेवा है।
मैं राज सत्ता का सुख भोगने के लिये नहीं चुनाव में लड रहा हूं। मेरा काम जनता की
सेवा करना है, अभी तक मैं सत्ता से बाहर रहकर जनता की सेवा की। कई मामलों में
सरकार की मदद से बेहतर कार्य किये जा सकते है। मेरे पास अपना विजन है और इसी के
आधार पर मुझे काम करना है। वर्तमान में नेताओं के पास विजन की कमी है। पार्टी के
बदलौत जीतकर विधानसभा पहुंच जाते है, लेकिन शहर के विकास के लिये विजन नहीं होने
के कारण काम कुछ भी नहीं होता है।वर्तमान के विधायक इसके उदाहरण है और अब सतारूढ़
पार्टी ने इस विधायक को दरकिनार कर दिया है। इससे नुकसान जनता को हुआ है।
Friday, September 27, 2019
कांग्रेस और बीजेपी में खेमेबाजी, हलोपा पांच सीटों पर लड़ेगी चुनाव
हरियाणा
में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज
चुका है। अब टिकटों के ऐलान की बारी है। टिकट के दावेदारों ने अपने राजनीतिक आकाओं
के यहां परिक्रमा शुरू कर दी। पिछले चुनाव में मोदी लहर पर सवार हो पहली बार पूर्ण
बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा हो या फिर कांग्रेस, जजपा, इनेलो, हलोपा और आप, सभी
कमर कसकर चुनावी रण में उतर पड़े हैं। प्रदेश तीन भागों में बंटा है। जीटी रोड
बेल्ट जो सोनीपत-पानीपत से लेकर पंचकूला तक है।
हलोपा
हरियाणा में पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी जल्द ही प्रत्याशियों की सूची
जारी करने वाली है। सिरसा और रनियां के अलावा रतिया और कलाबाड़ी से भी प्रत्याशी
घोषित करने के मूड में हैं। प्रत्याशियों के प्रोफाइल खंगाले जा रहे है और जल्द ही
सूची जारी की जाएगी। वहीं बीजेपी महिला और युवा प्रत्याशी को मैदान में उतारने की
तैयारी कर रही है। हलोपा के अध्यक्ष गोपाल कांडा से कई प्रत्याशी सीधे तौर पर संपर्क में है।
मध्य
हरियाणा जिसके बीच से सिरसा से बहादुरगढ़ जाने वाला नेशनल हाईवे 10 गुजरता है, जो
पहले नेशनल हाईवे 9 था।
शेष हिसार दक्षिण हरियाणा है। तीनों भागों और उनकी प्रकृति को ध्यान में रखकर ही
सभी दल रणनीति बनाएंगे। सत्तारूढ़ भाजपा ने लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप, पांच नगर निगम और जींद उपचुनाव में मिली जीत से
उत्साहित भाजपा ने जहां 75 से
अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं
बिखरे विपक्ष के सामने चुनौतियों का अपार अंबार लगा है। इस बार के चुनाव में मुख्य
मुकाबला राष्ट्रीय दलों में है, जबकि
क्षेत्रीय दल वजूद की लड़ाई लड़ते नजर आएंगे।
पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार राजनीतिक परिस्थितियां काफी बदली हुई हैं, लेकिन जिस तरह से विपक्ष बिखरा हुआ है, उससे भाजपा को अपने मिशन-75 पार की राह आसान नजर आ रही है। चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में राजनीतिक विघटन भाजपा की राह आसान कर रहा है। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले इनेलो की बागडोर उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला संभाले हैं तो इनेलो की कोख से निकली जननायक जनता पार्टी की बागडोर चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह और पोते दुष्यंत चौटाला के हाथ में है। रही बात कांग्रेस की तो वह आधा दर्जन खेमों में बंटी है।
INLD ने खोला वादों का पिटारा, सारा कर्ज माफ व किसानों को मुफ्त बिजली
आलाकमान ने हालांकि कद्दावर दलित नेता कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तीन अहम जिम्मेदारी सौंपी हैं, लेकिन सभी धड़ों को एकजुट करना आसान नहीं। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक तंवर, किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव हों या फिर कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सुरजेवाला, भाजपा को कांग्रेस की फूट रास आ सकती है।
पूर्व सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से अलग होने के बाद जजपा से गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब अकेले चुनाव में उतर रही है। लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के कारण लोसुपा उम्मीदवार अधिकतर स्थानों पर तीसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। आप की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नवीन जयहिंद कई उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है, जिसकी टिकटों का फैसला भाजपा हाईकमान को करना है।
पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार राजनीतिक परिस्थितियां काफी बदली हुई हैं, लेकिन जिस तरह से विपक्ष बिखरा हुआ है, उससे भाजपा को अपने मिशन-75 पार की राह आसान नजर आ रही है। चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में राजनीतिक विघटन भाजपा की राह आसान कर रहा है। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले इनेलो की बागडोर उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला संभाले हैं तो इनेलो की कोख से निकली जननायक जनता पार्टी की बागडोर चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह और पोते दुष्यंत चौटाला के हाथ में है। रही बात कांग्रेस की तो वह आधा दर्जन खेमों में बंटी है।
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आलाकमान ने हालांकि कद्दावर दलित नेता कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तीन अहम जिम्मेदारी सौंपी हैं, लेकिन सभी धड़ों को एकजुट करना आसान नहीं। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक तंवर, किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव हों या फिर कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सुरजेवाला, भाजपा को कांग्रेस की फूट रास आ सकती है।
पूर्व सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से अलग होने के बाद जजपा से गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब अकेले चुनाव में उतर रही है। लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के कारण लोसुपा उम्मीदवार अधिकतर स्थानों पर तीसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। आप की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नवीन जयहिंद कई उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है, जिसकी टिकटों का फैसला भाजपा हाईकमान को करना है।
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